जैसे परिंदे झील पर आए नहाने...
आए है तेरी महफ़िल मे हाल-ए-दिल तुझको सुनने
तीरे-नज़र से हुए जख्म है कितने तुझको दिखाने
जो नशा तेरी निगाहो से पिया था कभी हमने
ना मय मिली ना जाम मिला ना मिले वो मैखाने
दिल की प्यास को अश्को से बुझाया है कुछ इस तरह
जैसे परिंदे झील पर आए नहाने.....
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