Saturday, December 25, 2010 Posted by Om 0 comments »

भूलने से पहले याद आता है वही शख्स...

नींदे मेरी आँखो से चुराता है वही शख्स
सो जाउ तो ख्वाबो मे भी आता है वही शख्स 
हर ज़ख़्म की वजह भी कोई और नही है
हर ज़ख़्म पे मरहम भी लगता है वही शख्स
यू तो वो मुझे याद करता है अक्सर
जब चाहे मगर भूल भी जाता है वही शख्स

भूल के उसको शायद सुकून आ जाए ईद दर्द-ए-दिल को
पर हर बार… भूलने से पहले याद आता है वही शख्स

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