Saturday, December 25, 2010 Posted by Om 0 comments »

अभी लम्बा है ये सफ़र जिंदगी का शायद

ये दर्द  तेरा  भी  शायद  कुछ  मेरे  दर्द  जैसा  है

मैं  भी  तन्हा  हूँ  यहाँ  और  तू  भी  तन्हा  है

दोनों  ने  मोहब्बत  में  चोट  एक  साथ  खायी  है

थोड़े  हम  भी  पागल  है  थोडा  तुभी  बहका  है

अभी  लम्बा  है  ये  सफ़र  जिंदगी  का  शायद

अभी  चोट  खानी  है  बहुत  अभी  दर्द  सहना  है

0 comments:

About Us

Labels 1